मुलायम से भी ‘मुलायम’ हैं अखिलेश यादव

सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव (AKHILESH SINGH YADAV)  का एक जुलाई को जन्मदिन है. और चर्चा है कि इस बार कैसे जन्मदिन मनाया जाएगा ? क्योंकि कोरोना का संकट है. वैसे अखिलेश यादव इतने मुलायम है कि उन्हें बस दिल की बात समझ आती है. शायद ही उन्होंने राजनीति में भी दिल की सुनी है. जब 2016 में सपा में घमासान चला तो उस समय भी सबकी नजरें अखिलेश की तरफ थीं न की शिवपाल और मुलायम की तरफ.

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अखिलेश यादव, पूर्व मुख्यमंत्री यूपी |
अखिलेश यादव, पूर्व मुख्यमंत्री यूपी |

  • आजमगढ़ के सांसद अखिलेश यादव कभी भी विधान सभा का चुनाव नहीं लड़े
  • सपा की सरकार बनी और मुखिया अखिलेश यादव बने

संतोष कुमार पाण्डेय | सम्पादक की रिपोर्ट

सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव (AKHILESH SINGH YADAV)  का एक जुलाई को जन्मदिन है. और चर्चा है कि इस बार कैसे जन्मदिन मनाया जाएगा ? क्योंकि कोरोना का संकट है. वैसे अखिलेश यादव इतने मुलायम है कि उन्हें बस दिल की बात समझ आती है. शायद ही उन्होंने राजनीति में भी दिल की सुनी है. जब 2016 में सपा में घमासान चला तो उस समय भी सबकी नजरें अखिलेश की तरफ थीं न की शिवपाल और मुलायम की तरफ. अखिलेश यादव के कई रूप देखने को मिले. एक बार पार्टी को सम्बोधित करते हुए इमोशनल हो गए थे. मुलायम सिंह यादव को हमेशा नेता जी कहते देखे गए . जब मुख्यमंत्री थे उस दौरान कई बार मुलायम सिंह यादव ने उन्हें काम को लेकर डांट भी लगाई लेकिन अखिलेश ने उसे सहजता से स्वीकार्य किया. आइये जानते हैं कैसे अखिलेश यादव मुलायम से भी ज्यादा ‘मुलायम’ होते गये.

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आजमगढ़ के सांसद अखिलेश यादव कभी भी विधान सभा का चुनाव नहीं लड़े. राजनीति में सीधे सांसद बनकर आये थे. दिल्ली पहुच गए थे. लेकिन उन्हें राजनीति करनी थी यूपी की इसलिए उनकी नजरें लखनऊ की तरफ थी. वो दौर आया. अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश की कमान सम्भालने के लिए कमर कस ली. और वर्ष 2012 के विधान सभा चुनाव में इन्होने खूब साइकिल चलाई और ये साइकिल पर सवार हो गए.

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सपा की सरकार बनी और मुखिया अखिलेश यादव बने. चाचाओं के बीच में यह युवा नेता सीएम बन चुका था. इस पांच साल के दौरान कई बार चर्चा में आये और कई बार बिना चर्चा के रहे. मगर अखिलेश ने 2016 में वो कर दिखाया जो शायद किसी को उम्मीद रही हो. सपा में मुलायम सिंह यादव्, शिवपाल सिंह यादव हासिये पर आ गये. और अखिलेश यादव प्रदेश अध्यक्ष से राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गये.

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इन्हें मुलायम और सरल इस लिए भी कहा जाता है कि क्योंकि इन्होने गढ़बंधन लाभ के लिए नहीं किया था. दोनों बार के गठबंधन में नुकसान सपा को हुआ. मगर अखिलेश ने किसी पर कोई आरोप नहीं लगाया. बसपा और कांग्रेस के साथ गठबंधन करने के बाद कोई पछतावा भी नहीं दिखा. मगर एक बात साफ़ रही कि अखिलेश बस मुलायम से भी ज्यादा मुलायम बनते गए. इनके जीवन के बहुत उदाहरण है जो यह बता सकते हैं कि अखिलेश यादव बहुत मुलायम हैं. और उन्होंने दिल से काम किया है.

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अखिलेश यादव एक नजर में 

1 जुलाई 1973 (आयु 46) को उत्तर प्रदेश के इटावा में अखिलेश यादव का जन्म हुआ. शैक्षिक सम्बद्धता मैसूर विश्वविद्यालय से इंजीन्यरिंग स्नातक तथा सिडनी विश्वविद्यालय से पर्यावरणीय अभियांत्रिकी में परास्नातक. अदिति व टीना (पुत्री) और अर्जुन (पुत्र).


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