
- सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल राजद्रोह कानून पर लगाई रोक
- सरकार करेगी राजद्रोह कानून की समीक्षा
पोलटॉक नेटवर्क | दिल्ली
Supreme Court Decision on Sedition Law: बुधवार को सुप्रीम कोर्ट (SUPREME COURT) में राजद्रोह कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई की गयी। भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की अगुवाई वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने मामले की सुनवाई की। सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा है कि सरकार जब तक इस कानून की समीक्षा कर रही है, केंद्र और राज्य सरकारों को इस कानून के तहत नए मामले दर्ज नहीं करने चाहिए।
देश की सबसे बड़ी अदालत ने राजद्रोह (What Is Sedition Law ) मामले की सुनवाई करने बाद राजद्रोह कानून पर रोक लगा दी है। सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के मुताबिक, राजद्रोह कानून के तहत कार्रवाई पर रोक लगाने वाला यह आदेश तब तक जारी रहेगा जब तक सरकार इस कानून की समीक्षा पूरी नहीं कर लेती। इसके साथ ही कोर्ट ने इस कानून के तहत जेल में बंद सभी आरोपियों को जमानत के लिए कोर्ट के पास जाने की छूट भी दी है।
कोर्ट ने राजद्रोह से जुड़े प्रावधानों की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करने के लिए जुलाई के तीसरे हफ्ते तक का समय दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि केंद्र सरकार इस अवधी के दौरान कानून की समीक्षा पूरी कर सकती है।
क्या है देशद्रोह कानून/ राजद्रोह कानून (What Is Sedition Law )
वर्तमान में जो कानून सुर्ख़ियों में है वह कानून राजद्रोह कहलाता है ना कि देशद्रोह। कानून के तहत यदि कोई व्यक्ति सरकार के खिलाफ गतिविधि करता है तो उस पर राजद्रोह लगाया जाता है। राजद्रोह कानून देश के खिलाफ अपराध नहीं है। आईपीसी की धारा 124ए के तहत अगर कोई शख्स सार्वजनिक तौर पर लिखित या मौखिक रूप से या हस्ताक्षर या अन्य किसी जाहिर तरीके से विधि द्वारा स्थापित सरकार के खिलाफ नफरत, शत्रुता या फिर अवमानना की स्थिति पैदा करता है तो उसे राजद्रोह का दोषी माना जाएगा. इसके लिए उसे आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है और जुर्माना भी लगाया जा सकता है। देश विरोधी संगठन से किसी भी तरह का संबंध रखने या उसका सहयोग करने वाले के खिलाफ भी राजद्रोह का केस दर्ज हो सकता है।