
कोरोना (corona virus) का कहर भारत में सबसे ज्यादा महाराष्ट्र में है. अभी तक कुल 490 केस पाजिटिव है. 42 मामले ठीक भी हो चुके हैं. वहीँ 24 लोगों की मौत हो चुकी है. महाराष्ट्र (Maharashtra) संकट में है. लेकिन इससे बड़ा संकट यह है कि महाराष्ट्र (Maharashtra) के सीएम की कुर्सी को लेकर. क्योंकि वो अभी तक किसी भी सदन के विधायक (vidhayak) नहीं है. जबकी उन्हें सीएम पद की शपथ लिए हुए अभी तक 5 महीने पूरे होने वाला है. आइये जानते है कैसे उद्धव ठाकरे की कुर्सी फंस गई है. पढिये पोलटॉक की ख़ास रिपोर्ट!
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किसी भी सदन के नहीं है सदस्य !
28 नवम्बर 2019 को उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र के सीएम पद की शपथ ली थी. संविधान की धारा 164 (4) के अनुसार उन्हें छह माह, अर्थात 29 मई, 2020 से पहले राज्य विधानमंडल के किसी सदन की सदस्यता ले लेनी होगी. मगर अभी वर्तमान हालात में ऐसा कुछ नहीं होता दिख रहा है. मतलब उद्धव ठाकरे दोनों सदनों के सदस्य नहीं है. जबकि उन्हें ऐसा होना पड़ेगा.
धन्यवाद @HemantSorenJMM जी, आपने जहाँ हैं वहीं रहने की सलाह दी। कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए ये सबसे महत्वपूर्ण एहतियात है। मैंने संबंधित जिला कलेक्टर को झारखंड के भाइयों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और आवश्यक सहायता करने के निर्देश दिए हैं। https://t.co/p6hP9xG2HQ
— Office of Uddhav Thackeray (@OfficeofUT) March 25, 2020
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अगर उन्हें विधान सभा का सदस्य होना पड़ेगा तो उन्हें किसी भी उप-चुनाव पर चुनाव लड़ना होगा. जैसे कोई विधायक अपनी सीट छोड़ दे और उस सीट पर उद्धव ठाकरे चुनाव लड़ जाए. और जीत हुई तो वो योग्य हो जाएगे. मगर इसके लिए पूरा 45 दिन से अधिक समय चाहिए जो अब इसके लिए पर्याप्त नहीं है.
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विधान परिषद भी इनके लिए मुश्किल है
जबकि 24 अप्रैल को खाली हो रही विधान परिषद की सीटों के चुनाव भी आगे बढ़ाने की घोषणा चुनाव आयोग कर चुका है। इसलिए 29 मई से पहले इस उच्च सदन की सदस्यता ले पाना भी उद्धव के लिए संभव नहीं दिख रहा है। ऐसे में उद्धव ठाकरे कैसे चुनाव लड़ेंगे. संविधान के तहत इनकी कुर्सी खतरे में है. इसके लिए अब इनके पास एक ही उपाय है कि इन्हें मंत्रीमंडल समेत राज्यपाल को इस्तीफ़ा सौंपे और फिर से सीएम पद की शपथ लेनी पड़ेगी.
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ऐसा करने वाले उद्धव ठाकरे पहले सीएम बनेंगे. हालांकि, महाराष्ट्र में अभी कोई भी ऐसी सम्भावना नहीं दिख रही है. क्योंकि गठबन्धन में एकता है. लेकिन जिस तरीके से मध्यप्रदेश में पूरा राजनीतिक ड्रामा हुआ है उससे यहाँ भी कुछ भी हो सकता है. एनसीपी कोई अपना रंग दिखा सकती है. बस केवल इंतजार करना है.