उत्तर प्रदेश में विधान परिषद (MLC) की स्नातक क्षेत्र की रिक्त हो रही सीटों पर चुनाव होना है. वाराणसी खंड स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर संजीव सिंह चुनाव मैदान में हैं. इस सीट पर भी अप्रैल में चुनाव होना था. मगर लॉकडाउन (lockdown) की वजह से अब चुनाव टल गया है. वाराणसी खंड स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से वर्तमान एमएलसी केदारनाथ सिंह का कार्यकाल 6 मई को ख़त्म हो रहा है. इस सीट के लिए कुल 2,07,039 वोटर्स है. संजीव सिंह इस क्षेत्र के स्नातकों के लिए कई योजनाओं और मुद्दों पर काम कर रहे हैं. इन्होने इलाहाबाद विवि से एमए और एलएलबी किया है. पढ़िए पोलटॉक के एडिटर संतोष कुमार पाण्डेय द्वारा विधान परिषद स्नातक प्रत्याशी संजीव सिंह का लिया गया ख़ास इन्टरव्यू.
सवाल : पूर्वांचल में कांग्रेस इस चुनाव में क्या कर पाएगी ?
संजीव सिंह : इस चुनाव को लेकर पिछले एक वर्ष से हम काम कर रहे हैं. वाराणसी खंड स्नातक निर्वाचन क्षेत्र में कुल 8 जिले आते है. उन सभी जिलों में जाकर मैं शिक्षकों, बेरोजगार स्नातक, रोजगार स्त्नात्क, अधिवक्ताओं से मिल रहा हूँ. जो, मुझे दिख रहा है लोगों ने इस चुनाव से दूरी से बना लिया है. उनका कोई रुझान नहीं है. सबसे पहले मैं इस चुनाव की प्रकिया को लेकर चुनाव आयोग से बदलाव की बात की है. यहाँ भी आँनलाइन व्यवस्था होनी चाहिए. यह प्रदेश के उच्च सदन के लिए चुनाव होता है. यहाँ भी बदलाव होना चाहिये. कांग्रेस अच्छा लड़ रही है.
सवाल : इन 8 जिलों में स्नातक बेरोजगारों के लिए क्या करेंगे ?
संजीव सिंह : देखिये, बेरोजगार स्नातक के लिए काम होना चाहिए. मैंने अपने 14 मुद्दे बनाये है. अभी लोगों तक उनकी बात नहीं पहुच पा रही है. स्नातक अधिवक्ताओं की स्थिति खराब हो चुकी है. इनकी आर्थिक स्थिति कमजोर हुई है. बालिकाओं की शिक्षा पर भी काम करना होगा. जहां पर काम नहीं हुआ है.
सवाल : संविदा पर नौकरी मिलने से परेशानी बढ़ रही है ?
संजीव सिंह : दो तरह के स्नातक है. पहले रोजगार और दूसरे बेरोजगार युवा है. उत्तर प्रदेश को संविदा प्रदेश बना दिया गया है. प्रदेश में चाहे कोई भी सरकार रही है. सबने वहीँ किया है. सविंदा पर नौकरी करने वाला परेशान रहता है. सरकार रोजगार के नाम पर स्थाई काम करना होगा. स्त्नाक युवा को मजदूर से भी कमजोर स्थिति बना दी गई है. शिक्षा मित्रों के साथ न्याय नहीं हुआ है. उनके साथ अन्य हुआ है.
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सवाल : शिक्षकों के लिए क्या योजना है ?
संजीव सिंह : वित्तविहीन शिक्षकों के लिए भी बेहतर योजना होनी चाहिए. उन्हें बेहतर सेवा मिलनी चाहिए. सहायक अध्यापकों की पे-स्केल के हिसाब से पद नाम बदलना होगा. सहायक अध्यापक को भी लेक्चरर पद नाम देना होगा. अधिवक्ताओं के लिए भी बेहतर व्यवस्था होना चाहिये. मैंने खुद महात्मागाँधी काशी विद्यापीठ वाराणसी और वीर बहादुर सिंह पूर्वाचल विवि के वीसी से कई मुद्दों पर बात किया है.
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सवाल : लॉक डाउन के बाद क्या योजना है स्नातकों के लिए और क्या स्नातक मतदाता इस बार बदलाव चाह रहा है ?
संजीव सिंह : देखिये, इस बार स्त्नाक युवा इस बार विकल्प चाह रहा है. हमें इन स्नातको के लिए विधान परिषद जाना है. लॉकडाउन की वजह से अब चुनाव टल गया है. लेकिन मैं लगातार स्नातक युवाओं के साथ हूँ. मैं आन्दोलन से निकला हुआ व्यक्ति हूँ. मुझे कोई लाभ की जरुरत नहीं है. देखिये, इसके पहले डॉ राजेश मिश्रा एमएलसी रहे उनके काम को लेकर लोग संतुष्ट रहे हैं. उनके बाद से एक लंबा ठहराव रहा है. देखिये, 8 जिलों में मिलाकर एक कमेटी बनेगी जिसमें कांग्रेस के लोग नहीं रहेंगे. एक केन्द्रीय कमिटी होगी जो तय करेगी की विधायक निधि का पैसा कहाँ खर्च होगा. 8 जिलों में पूरी निगरानी होगी. देखिये, राजनीति से मैं घर की रोटी और कोठी बनाने का सपना नहीं देखता. आनलाइन शिक्षा प्राणाली मजबूत करने की बात है. इसपर काम करने की जरुरत है. नवजवानों की परीक्षा प्रणाली पर ध्यान देना होगा. बस सरकार पेपरबाजी न करें. कई सारी आईटी कम्पनी है जिनसे जोडकर सरकार ठोस काम कर सकती है.
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कौन है संजीव सिंह : मूलत जौनपुर जिले के जलालपुर के नहोरा के रहने वाले हैं. मगर अब वाराणसी के कमच्छा में रहते हैं. आम आदमी पार्टी के संस्थापक सदस्य, राष्ट्रीय पर्वेक्षक, संयोजक/अध्यक्ष पूर्वांचल प्रान्त (यूपी). लोक मंच (सामाजिक संगठन ) वाराणसी के अध्यक्ष. वाराणसी, बलिया, चंदौली, जौनपुर, गाजीपुर, मिर्जापुर, आदि में किसान और छात्र के लिए आंदोलन कर चुके हैं. इलाहाबाद में छात्र अनादोलन से जुड़े रहे हैं.
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