BIHAR CHUNAV 2020 : अधिक सीटों के चक्कर में अपनी भी सीट नहीं बचा पाए कुशवाहा ! फिर उसी राह पर अड़े !

बिहार विधानसभा चुनाव 2020 (BIHAR VIDHAN SABHA CHUNAV 2020 ) को लेकर सभी दल मैदान में हैं. मगर इस बार बड़ी बात यह है कि अभी तक न तो सीट का बंटवारा हुआ और न ही चुनाव की डेट आई है. इसके पहले ही सभी दल अलग-अलग राह पर चल पड़े हैं. महागठबंधन हो या एनडीए (NDA) दोनों में खलबली मची है. आइये जानते हैं क्या स्थिति बनी हुई है. एनडीए में लोजपा (LJP) पूरी तरह से बगावत पर हैं.

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उपेन्द्र कुशवाहा
उपेन्द्र कुशवाह, पूर्व केन्द्रीय मंत्री

  • रालोसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं उपेन्द्र कुशवाहा, कई बड़ी जिम्मेदारी निभा चुके हैं
  • इस बार महागठबंधन में हैं शामिल, वहां भी बढ़ गया है तनाव

संतोष कुमार पाण्डेय | सम्पादक

बिहार विधानसभा चुनाव 2020 (BIHAR VIDHAN SABHA CHUNAV 2020 ) को लेकर सभी दल मैदान में हैं. मगर इस बार बड़ी बात यह है कि अभी तक न तो सीट का बंटवारा हुआ और न ही चुनाव की डेट आई है. इसके पहले ही सभी दल अलग-अलग राह पर चल पड़े हैं. महागठबंधन हो या एनडीए (NDA) दोनों में खलबली मची है. आइये जानते हैं क्या स्थिति बनी हुई है. एनडीए में लोजपा (LJP) पूरी तरह से बगावत पर हैं.

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एनडीए (NDA) में लोजपा ने यहाँ तक कह दिया है कि अगर उनकी बातें नहीं मानी गई तो वह अलग हो सकते हैं. वहीं महागठबंधन से पहले ही हम पार्टी के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी बाहर जा चुके हैं. अब बारी है उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) के बाहर जाने की. उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha ) की मांग है कि उनकी पार्टी को 41 सीट मिले. मगर उन्हें महागठबंधन में मात्र 12-15 सीट देने की बात हो रही है. वहीं राजद की तरफ से कहा गया है कि अगर रालोसपा बाहर जाना चाहती है तो चली जाय.

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कुशवाहा हर बार बदल रहे हैं खेमा

जदयू से वर्ष 2010 में राज्यसभा पहुचंने वाले उपेन्द्र कुशवाहा ने वर्ष 2013 में अपना दल बना लिया. जिसका नाम है रालोसपा. वर्ष 2014 में उनकी पार्टी को बिहार में तीन लोक सभा की सीटें मिली और जदयू को मात्र दो सीट. यही से उपेन्द्र कुशवाहा जिद्दी से हो गये. बिहार में नेता प्रतिपक्ष रह चुके उपेन्द्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha ) की नजर सीएम की कुर्सी पर पड़ गई. मगर सफलता की जगह नुक्सान होने लगा.

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2014 में मोदी मंत्रिमंडल में उपेन्द्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) को केन्द्रीय मानव संसाधन राज्यमंत्री बनाया गया. लेकिन वर्ष 2015 के विधान सभा चुनाव में कुछ ख़ास नही हुआ. तीन सीटों पर जीत मिली. मगर वर्ष 2019 में उपेन्द्र कुशवाहा फिर महागठबंधन में चले गये. और सीट की मांग को लेकर अड़े रहे.

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इन्हें 5 सीटें मिली और जीत एक पर भी नहीं. अब फिर सीट के बंटवारे को लेकर उपेन्द्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) डटे है. लगता है इस बार फिर महागठबंधन से एनडीए (NDA) की ओर जाना चाहते हैं. मगर वहां पर पहले ही माझी और लोजपा ने संकट खडा किया है. मगर चीजें बदल रही है.


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