- राखी सिंह वापस लेंगी गौरी मंदिर में रोजाना पूजन-दर्शन की मांग का केस
- 09 मई को कोर्ट में होनी है ज्ञानवापी मस्जिद की सुनवाई
पोलटॉक नेटवर्क | लखनऊ / आदित्य कुमार
Gyanvapi Masjid Case: वाराणसी (Varanasi) में काशी विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath Temple) से सटी ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Masjid) केस बड़ा उलटफेर हो गया है। ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में स्थित श्रृंगार गौरी मंदिर में रोजाना पूजन-दर्शन की मांग को लेकर याचिका दायर करने वाली 5 महिलाओं में से एक वादी अपना केस वापस लेगी।
वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर के निकट स्थित ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वेक्षण को लेकर विवाद लगातार जारी है। इसी बीच मामले में हिन्दू पक्ष की तरफ से 5 वादी में से एक राखी सिंह सोमवार अपना केस वापस लेंगी। जबकि अन्य चार वादी अपने फैसले पर कायम रहेंगे और केस को जारी रखेंगे। फिलहाल हिन्दू पक्ष के वकील और अन्य पदाधिकारी बैठक कर आगे की रणनीति तय करेंगे।
राखी सिंह के केस से अलग हो जाने के बाद ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में स्थित श्रृंगार गौरी मंदिर में रोजाना पूजन-दर्शन की मांग को लेकर याचिका दायर करने वालों में केवल चार वादी रह जायेंगे। 4 वादी जिन्होंने केस जारी रखने का फैसला किया है, उनमें सीता साहू, मंजू व्यास, लक्ष्मी देवी और रेखा पाठक शामिल हैं। वहीं, राखी सिंह के केस वापस लेने के निर्णय के पीछे का कारण स्प्ष्ट नहीं है।
पांच महिलाओं ने कोर्ट से की थी ये मांग
दरअसल, ज्ञानवापी मस्जिद में हुए सर्वे और तजा विवाद के पीछे कोर्ट में दाखिल एक याचिका है। 18 अगस्त 2021 को वाराणसी की 5 महिलाएं श्रृंगार गौरी मंदिर में रोजाना पूजन-दर्शन की मांग को लेकर कोर्ट पहुंचीं थी। कोर्ट में याचिका दायर करने वाली महिलाओं ने मांग की थी कि ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में मौजूद अन्य देवी देवताओं की रोजाना पूजा अर्चना की अनुमति दी जाए इसमें किसी प्रकार की बाधा न आये। बता दें,श्रृंगार गौरी मंदिर में पहले की परंपरा के मुताबिक, साल में 2 बार ही पूजा होती थी।
हिन्दू पक्षकारों की मानें तो मस्जिद के स्थान पर कभी मस्जिद था तथा अभी भी मस्जिद के तहखाने में शिवलिंग, हनुमान जी, भगवान गणेश की मूर्ति और अन्य मूर्तियां मौजूद हैं। फिलहाल शुरुआती अड़चनों का बाद सर्वेक्षण के कार्य प्रारंभ हो गया है। मामले में दर्ज कुल 6 केस हैं, जिनमें से कोर्ट ने 4 पर फैसला कर उसे सुरक्षित रख है तथा बाकी 2 अन्य मामलों पर ज़ल्द ही सुनवाई पूरी कर सत्र न्यायालय द्वारा फैसला जारी किया जाना है।