- डीएसपी और 3 सब इंस्पेक्टर समेत 8 पुलिसकर्मी शहीद हो गए
- विकास दुबे (vikas dubey ) पर 60 आपराधिक मामले दर्ज है
संतोष कुमार पाण्डेय | सम्पादक
उत्तर प्रदेश में योगी की सरकार है और बेहतर कानून-व्यवस्था की बात करने वाली योगी सरकार की पोल खुल गई है. गुरूवार की रात सर्कल ऑफिसर (डीएसपी) और 3 सब इंस्पेक्टर समेत 8 पुलिसकर्मी शहीद हो गए. अब सवाल उठ रहा है कि यह पूरा मामला है क्या ? तो जानिए पूरी कहानी. विकास दुबे कानपुर में वर्षो से सक्रीय है. लगभग 19 साल से सबकुछ चल रहा है. विकास पर 60 आपराधिक मामले दर्ज है. कई बार जेल गया और बाहर आता गया. उसके अपराध की लिस्ट आप देखरक दंग रह जायंगे. तो आइये आप को बताते हैं कि वो अपराधी से नेता कैसे बन गया.
उम्रकैद की सजा भी हुई थी
कानपुर नगर से लेकर कानपुर देहात तक लूट, डकैती, मर्डर जैसे अपराधों को अंजाम देता रहा है। 2000 में विकास ने शिवली इलाके के ताराचंद इंटर कॉलेज के सहायक प्रबंधक सिद्धेश्वर पांडेय की हत्या कर दी थी, जिसमें उसे उम्रकैद की सजा भी हुई थी. इसके बाद से इसका रूतबा बढ़ता गया. और ये सत्ता के करीब जाने लगा. इसी बीच जब इसने एक दर्जाप्राप्त राज्यमंत्री को मारा तो पूरी कहानी सामने आई.
थाने में घुसकर मारा था मंत्री को
पुलिस को पूछताछ में विकास ने बताया था कि वर्ष 1996 में कानुपर की चौबेपुर विधानसभा क्षेत्र से हरिकृष्ण श्रीवास्तव व संतोष शुक्ला चुनाव लड़े थे. और हरिकृष्ण श्रीवास्तव बसपा से जीत गए थे. विजय जुलूस के दौरान हरिकृष्ण श्रीवास्तव व संतोष शुक्ला में गंभीर विवाद हुआ था. जिसमें विकास दुबे का नाम आया था और उसके खिलाफ मुकदमा हुआ. यहीं से विकास की भाजपा नेता संतोष शुक्ला से रंजिश हो गई थी. इसी रंजिश के चलते 11 नवंबर 2001 को विकास ने कानपुर के थाना शिवली के अंदर संतोष शुक्ला की गोली मारकर हत्या कर दी थी।
नगर पंचायत का जीत गया था चुनाव
2000 में रामबाबू यादव की हत्या की जेल में साजिश रचने का आरोपी था। 2004 में केबल व्यवसायी दिनेश दुबे की हत्या के मामले में भी विकास आरोपी है। विकास ने राजनेताओं के सरंक्षण से राजनीति में एंट्री की और जेल में रहने के दौरान शिवराजपुर से नगर पंचायत का चुनाव जीत लिया। जानकारी के अनुसार, इस समय विकास दुबे के खिलाफ 60 मामले यूपी के कई जिलों में चल रहे हैं। इसके बाद भी अब जब कार्रवाई की बात हुई तो उसने पुलिस टीम पर हमला कर दिया.