जब राजा भैया के पिता ने की थी इंदिरा गाँधी से बगावत, इंदिरा गाँधी ने भेजी थी सेना

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  • राजा भैया के पिता ने की थी इंदिरा गाँधी से बगावत 
  • भदरी रियासत के राजा हैं राजा भैया के पिता उदय प्रताप सिंह 

पोलटॉक नेटवर्क | लखनऊ 

उत्तर प्रदेश की राजनीति में राजनीतिक घराने से आने वाले रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया को कौन नहीं जानता होगा। राजा भैया वर्तमान में प्रतापगढ़ के कुंडा लोकसभा सीट से विधायक हैं। राजा भैया कुंडा और लोकसभा सीट से लगातार सातवीं बार विधायक चुने गए हैं। राजा भैया का राजनीतिक सफर साल 1993 से शुरू हुआ था।  राजा भैया शाही परिवार से आते हैं और उनकी मां और पत्नी भी राजघरानों से आई हुई है। राजा भैया के पिता उदय प्रताप सिंह प्रतापगढ़ की भदरी रियासत के महाराज हैं। देश में भले ही राजशाही की प्रथा खत्म हो गई हो लेकिन कुंडा में राजा का दरबार आज भी लगता है।

राजा भैया की परिवार की बात करें तो राजा भैया पिता उदय प्रताप सिंह और मां मंजुल राजे के इकलौते बेटे हैं। उनके दादा राजा बजरंग बहादुर सिंह स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल भी रहे हैं। राजा भैया की मां  मंजुल राजे का संबंध भी राजघराने से है। वहीं राजा भैया की पत्नी भानवी कुमारी भी बस्ती के शाही राजघराने से संबंध रखती हैं।

राजा भैया के पिता ने दी इंदिरा गांधी को चुनौती

प्रतापगढ़ के भदरी रियासत के राजा उदय प्रताप सिंह हिंदू परिषद के नेता रहे हैं, उनकी छवि कट्टर हिंदू नेता के रूप में मानी जाती है। राजा भैया के पिता उदय प्रताप सिंह के संबंध उनके जमाने में नेहरू परिवार से अच्छे थे लेकिन उदय प्रताप सिंह के कांग्रेस और इंदिरा गांधी से संबंध अच्छे नहीं रहे।

राजा भैया के दादा बजरंग बहादुर सिंह और पंडित जवाहरलाल नेहरू के बीच का संबंध काफी अच्छे थे। वहीं राजा बजरंग की पत्नी रानी गिरजा देवी और इंदिरा गांधी भी काफी नजदीकी थी। जबसे भदरी रियासत की कमान उदय प्रताप सिंह के हाथ में आई नेहरू गांधी परिवार से उनके संबंध उनके पिता की तरह बेहतर नहीं रहे। वैचारिक मतभेदों के कारण गांधी परिवार से कई बार उनके विवाद हुए। उदय प्रताप सिंह विश्व हिंदू परिषद के नेता रहे चलते वैचारिक मतभेद और बढ़ते चले गए।

भारत से अलग किया खुद का राज्य

प्रतापगढ़ में भदरी रियासत के साथी कालाकांकर रियासत भी रही थी। यह दोनों रियासतें क्षत्रिय वंश की रियासतें रहीं। दोनों ही रियासतों हमेशा से 36 का आंकड़ा चलता रहा। कालाकांकर रियासत के वारिस रहे राजा दिनेश सिंह के राजनीतिक संबंध इंदिरा गांधी से काफी अच्छे थे और उनकी रियासत पंडित नेहरू के समय से कांग्रेसी रही थी। जबकि भदरी रियासत के राजा उदय प्रताप सिंह विश्व हिंदू परिषद से जुड़े हुए थे।

भदरी रियासत और कालाकांकर रियासत की आपसी राजनीतिक मतभेद भी इन्हीं कारणों से सामने आ गए और इसी के चलते राजा उदय प्रताप सिंह नेहरू गांधी परिवार से तालुकात खराब होते गए। भदरी रियासत के राजा उदय प्रताप सिंह ने इंदिरा गांधी के शासन में बगावत करते हुए अपने रियासत भदरी को भारत का स्वतंत्र राज घोषित कर दिया। ऐसे में तत्कालीन प्रधानमंत्री रहीं इंदिरा गांधी को मजबूरन कुंडा की रियासत में सैन्य बल को भेजना पड़ा था।


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