MUKHTAR ANSARI FULL STORY: … आखिर ऐसा क्या हुआ कि पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष का पोता बन गया पूर्वांचल का डॉन ?

मुख्तार अंसारी के दो बेटे हैं–अब्बास अंसारी और उमर अंसारी

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mukhtar ansari house

  • जेल में रहकर चुनाव लड़ने वाले मुख्तार अंसारी ने हमेशा जीता चुनाव
  • वाराणसी से लड़ चुका है लोकसभा का चुनाव, मिली थी हार

पोल टॉक नेटवर्क | लखनऊ

देश की राजनीति को उत्तर प्रदेश में एक से बढ़कर एक दिग्गज नेता दिए हैं। इन नेताओं में कोई अपनी सादगी के लिए पहचाना गया तो कोई अपने बाहुबल के लिए जाना जाता है। यूपी में सियासत की सबसे उपजाऊ जमीन पूर्वांचल को माना जाता है। पूर्वांचल से कई बाहुबली नेताओं ने अपराध की दुनिया में कदम रखते हुए दिल्ली तक का सफर तय किया है। जब भी उत्तर प्रदेश की राजनीति में हूं बाहुबली नेताओं का नाम लिया जाता है तो दिमाग में सबसे पहले आने वाले नेताओं के नाम में मुख्तार अंसारी (MUKHTAR ANSARI FULL STORY) का नाम जरूर शामिल होता है आज इस लेख में हम मुख्तार अंसारी के अब तक के राजनीतिक सफर के बारे में जाने वाले हैं।

कौन है मुख्तार अंसारी ? 

मुख्तार अंसारी का जन्म 30 जून 1963 को गाजीपुर, उत्तर प्रदेश में हुआ था ।मुख्तार अंसारी गाजीपुर के एक प्रमुख सुन्नी मुस्लिम परिवार से हैं। उनका जन्म सुभानुल्लाह अंसारी (पिता) और बेगम राबिया (मां) यहाँ हुआ। मुख्तार अंसारी के दादा डॉ मुख्तार अहमद अंसारी ((MUKHTAR ANSARI FULL STORY)) एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे। डॉ मुख्तार अहमद अंसारी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और मुस्लिम लीग के अध्यक्ष पद पर भी रहे। मुख्तार अंसारी ने गाजीपुर कॉलेज रामबाध से बीए की डिग्री हासिल की। मुख्तार अंसारी की का विवाह 15 अक्टूबर 1989 को अफसा अंसारी से हुआ। मुख्तार अंसारी के दो बेटे हैं–अब्बास अंसारी और उमर अंसारी। मुख्तार के दोनों ही बेटे राजनीति में हैं।

मुख्तार अंसारी का शुरुआती जीवन

1970 के दशक में में सरकार सूबे के सबसे पिछड़े क्षेत्र में आने वाले पूर्वांचल के विकास के लिए क्षेत्र में कई परियोजनाओं को ला रही थी जिसके ठेके लेने के चलते पूर्वांचल में कई गिरोह खड़े हो गए। मुख्तार अंसारी शुरूआत में मखनू सिंह के गिरोह का सदस्य था । 1980 में एक जमीन के भूखंड के मामले को लेकर साहिब सिंह के नेतृत्व में चल रहे गिरोह से भिड़ गया। जिसके परिणाम में इलाके में तमाम हिंसक घटनाएं हुईं।
साहिब सिंह के ही गिरोह में बृजेश सिंह नाम का एक व्यक्ति था जिसने आगे चलकर खुद का गिरोह खड़ा किया। यहीं से मुख्तार अंसारी और ब्रजेश सिंह का नाम सामने आना शुरू हो गया । ब्रजेश सिंह ने धीरे धीरे ठेकों पर अपना कब्जा करना शुरू कर दिया। जहां 1990 के दौरान जिन ठेकों पर मुख्तार अंसारी का इकलौता राज चलता था अब इसके इकछत्र राज को चुनौती मिलना शुरू हो गई। इसी बात को लेकर यहीं से ब्रजेश सिंह और मुख्तार अंसारी के गैंग के बीच खूनी आमना सामना होना शूरू हो गया। उसी दौर से मुख्तार अंसारी और ब्रजेश सिंह की दुश्मनी की शुरूआत हुई।

मुख्तार अंसारी का राजनीतिक सफर

मुख्तार अंसारी ने (MUKHTAR ANSARI FULL STORY) अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत पोस्ट ग्रेजुएट गाज़ीपुर कॉलेज रामबाध में छात्र परिषद के चुनावों से की, जहाँ उन्होंने 1984 में बीए की डिग्री हासिल की थी। साल 1995 में मुख्तार अंसारी (MUKHTAR ANSARI FULL STORY) ने मुख्य धारा की राजनीति में एंट्री की ओर 1996 में बसपा के टिकट से मऊ जिले से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। तबसे मुख्तार अंसारी ने मऊ से पांच बार जीत हासिल की। मुख्तार अंसारी ने 2002 और 2007 के विधानसभा के चुनाव में निर्दलीय चुनाव लड़ा और दोनों बार जीत दर्ज की।

2009 ने मुख्तार अंसारी ने लोकसभा का चुनाव लड़ा लेकिन इस चुनाव में मुख्तार को हार का मुंह देखना पड़ा। इसके बाद मुख्तार ने 2012 में कौमी एकता दल पार्टी का गठन किया। हालांकि, 2017 के चुनाव में मुख्तार ने एक बार फिर बसपा के और रुख किया और बसपा के टिकट पर चुनाव लड़कर जीता।

मुख्तार अंसारी पर अपराधिक मामले

मुख्तार अंसारी पर हत्या, धमकी जैसे कई मामले दर्ज हैं। मुख्तार और ब्रजेश सिंह के बीच चल रहे माफिया युद्ध के बीच एक और नाम सामने आता था जिसकी पूर्वांचल में पकड़ थी वो नाम था कृष्णानंद राय। ब्रजेश सिंह के पास मुख्तार अंसारी की राजनीतिक ताकत का जवाब नहीं था। ऐसे में कहा जाता था कि ब्रजेश सिंह को कृष्णानंद राय का संरक्षण प्राप्त है। कृष्णानंद राय मुहम्मदाबाद सीट से मुख्तार अंसारी के भाई को हराकर विधायक बनते थे। मुख्तार ने आरोप लगाया था कि कृष्णानंद राय अपनी ताकत के दम पर बृजेश सिंह को गाजीपुर में सरकारी ठेकों का काम दिलवा रहे हैं। उसके बाद कृष्णानंद राय की हत्या हो गई जिसमें मुख्तार अंसारी पर आरोप लगा की जेल में रहते हुए मुख्तार अंसारी ने कृष्णानंद राय को हत्या करवा दी। मुख्तार अंसारी पर मुख्तार अंसारी का विवाद और आपराधिक आरोप मुख्तार अंसारी के ऊपर इस समय सात से भी ज्यादा “आईपीसी धारा-506” सम्बंधित आरोप है। मुख्तार पर दो धारा “आईपीसी-420” धोखाधड़ी और बेईमानी के आरोप जुड़ा हुआ है। मुख्तार पर धारा (आईपीसी-504) का लगा है और ये तब लगती है जब आप शांति भंग करते है। मुख्तार अंसारी के ऊपर (आईपीसी-धारा-148) भी है और ये धारा तब लगती है जब आप कही दंगे किये है। इन सब के अलावा इनके ऊपर ऐसे कई सारी धाराएं लगी हुई है या लगाई गईं थीं। जो कुछ इस प्रकार है, (आईपीसी-धारा-120), (आईपीसी-धारा-307), (आईपीसी-धारा-302), (आईपीसी-धारा-404), (आईपीसी-धारा-467), (आईपीसी-धारा-468), (आईपीसी-धारा-325), (आईपीसी-धारा-34), (आईपीसी-धारा-419), (आईपीसी-धारा-109). साल 2005 में मऊ दंगों में नाम आने के बाद उनपर कई आरोप लगे. इस दौरान मुख्तार अंसारी ने गाजीपुर पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया और तब से वे जेल में ही बंद हैं।


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