- यूपी में भाजपा के किसी सीएम ने अपना 5 साल का कार्यकाल पूरा किया
- यूपी में लगातार दूसरी बार सीएम बनने वाले योगी बने भाजपा के पहले नेता
पोल टॉक नेटवर्क | लखनऊ
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP election 2022) जीतने के साथ ही भारतीय जनता पार्टी (bjp) ने कई रिकॉर्ड तोड़े। योगी आदित्यनाथ (adityanath yogi) ने लगातार दूसरी बार सत्ता में वापसी की है। इसके साथ ही वर्षों से चले आ रहे मिथक भी टूट गए हैं। सूबे में मिथकों के चलते राजनेता उन कार्यों के को करने से या स्थान विशेष पर जाने से पीछे हटते थे जिसे योगी आदित्यनाथ ने दोबारा सत्ता वापसी कर तोड़ दिया है।
37 सालों का टूटा रिकॉर्ड
25 मार्च को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के साथ ही या फिर ये कहा जाये की 10 मार्च को चुनाव नतीजे घोषित होने के साथ ही भारतीय जनता पार्टी ने लगातार दूसरी बार सत्ता में लौटकर 37 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया। 1985 के बाद ऐसा पहली बार हो रहा है कि लगातार दूसरी बार किसी पार्टी की सरकार बन रही हो। इसके पहले 1980 और 1985 में कांग्रेस ने लगातार दो बार पूर्ण बहुमत की सरकार UP में बनी थी।
नोएडा जाने का मिथक भी टूटा
उत्तर प्रदेश की राजनीती में ऐसा मिथक था कि कोई भी नेता मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए नोएडा शहर की धरती पर पैर रखता है तो उसका सत्ता से जाना तय है। यह मिथक यूपी की सियासत में पिछले तीन दशक से बना हुआ है। दरअसल, इस मिथक की शुरुआत 1988 से शुरू हुई, जब पहली बार तत्कालीन सीएम वीर बहादुर सिंह नोएडा आए और अगला चुनाव हार गए। उनके बाद नारायण दत्त तिवारी सीएम बने और 1989 में नोएडा आए। नोएडा आने के कुछ समय बाद ही नारायण दत्त तिवारी की भी सीएम की कुर्सी चली गयी। तबसे यूपी की राजनीति में यह मिथक घर कर गया।
योगी आदित्यनाथ के दोबारा मुख्यमंत्री बनने के साथ ही नोएडा जाने से सीएम की कुर्सी जाने का मिथक टूट गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सीएम रहते हुए पहली बार 23 सितंबर, 2017 को बॉटनिकल गार्डन-कालकाजी मैजेंटा मेट्रो लाइन के उद्घाटन के लिए पीएम मोदी की यात्रा से पहले शहर का दौरा किया था। सीएम योगी आदित्यनाथ लगभग 20 बार नॉएडा दौरे पर गए और लगातार दूसरी बार सूबे की सत्ता में लौटे।
ऐसा ही एक और मिथक उत्तर प्रदेश के नेताओं के बीच में था और वह था ताज नगरी आगरा के सर्किट हाउस में ठहरना। ऐसा मिथक है की आगरा के सर्किट हाउस में बतौर मुख्यमंत्री ठहरने वाला जल्द ही मुख्यमंत्री की कुर्सी से दूर हो जाता है। इस सर्किट हाउस को मनहूस मानने की शुरुआत तब हुई जब जब राजनाथ सिंह आगरा सर्किट हाउस में रुके और उसके बाद उनकी कुर्सी चली गई। राजनाथ सिंह के बाद मुलायम सिंह यादव व मायावती ने आगरा के सर्किट हाउस में ठहरने की हिम्मत न जुटाई। वहीं, 2018 में योगी आदित्यनाथ आगरा दौरे के दौरान आगरा के सर्किट हाउस में ही ठहरे थे।