आखिर राजनीति कैसे में कैसे आया बुलडोजर, योगी कैसे बने बुलडोजर बाबा

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yogi adityanath and bulldozer

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान बुलडोजर और बाबा बुलडोजर शब्द इतना प्रचलित हुआ कि भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं ने जीत के बाद सूबे के पार्टी मुख्यालय के बाहर बुलडोजर का जुलूस निकल कर जीत जश्न मनाया था। अब सवाल यह खड़ा होता किराजनीति में कोई मशीन का नाम इतना फेमस कैसे हो गया ? मशीन का नाम इतना प्रचलित हुआ कि उसका नाम लेने मात्र से पार्टी विशेष की पहचान बन गयी। बुलडोजर के साथ ही साथ चुनावों के दौरान बुलडोजर बाबा शब्द भी खूब चर्चा में रहा।

दरअसल 2017 में उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने बाहुबलियों की अवैध सम्पत्ति पर बुलडोजर चलवा दिया। उसके बाद धीरे-धीरे बुलडोजर प्रदेश के अपराधियों पर चलने लगा। वहीं भारतीय जनता पार्टी के नेता भी बड़े शान से रैलियों में बुलडोजर नीति का बखान करने लगे। वहीं 2020 के लखनऊ में हुए हिसंक प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों के आवास पर बुलडोजर चलाने की बात की गयी।

वहीं बुलडोजर की चर्चा सबसे ज्यादा चर्चा तब हुई जब 2022 का विधानसभा चुनाव हुआ। सीएम योगी व बीजेपी के नेता चाहे सोशल मीडिया हो या चुनावी सभा सभी जगह दंगाईयों पर बुलडोजर चलानाने की बात करने लगे। यहाँ तक की चुनाव प्रचार में नारे तक नारे तक लगने लगे की ‘यूपी की है मजबूरी, बुलडोजर है जरुरी’

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने अपनी चुनावी सभा में बुलडोजर लो लेकर कहा था कि बुलडोजर हाईवे बनता है, बाढ़ रोकने का काम करता है है साथ ही बुलडोजर माफियाओं से अवैध कब्जे भी मुक्त कराता है। सूबे में बुलडोजर को सकारात्मक तरीके से पेश किये जाने लगा। बुलडोजर की राजनीती ने जोर तब पकड़ा जब अखिलेश यादव समेत समूचे विपक्ष ने इसका विरोध किया।

बाबा योगी से बने बाबा बुलडोजर 

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को बाबा मुख्यमंत्री, महराज, बाबा योगी आदि नामों से जाना जाता था लेकिन चुनाव के समय में योगी आदित्यनाथ ने बुलडोजर को अपना चुनाव प्रचार का साथ बना लिया था। वह जहां भी जाते बुलडोजर का जिक्र अवश्य करते। अखिलेश यादव ने एक चुनावी जनसभा में सीएम योगी पर तंज कसते हुए उन्हें “बाबा बुलडोजर ” कह दिया। उसके बाद से सीएम योगी और बीजेपी ने बाबा बुलडोजर को अपना स्लोगन बना लिया। सीएम योगी जहां भी चुनावी सभा करने जाते वहां बुलडोजर खड़े दिखाई दे जाते थे। मुताबिक योगी अपने हर इंटरव्यू में, हर सभा में, डोर-टू-डोर कैंपेन में इसकी चर्चा जरूर करते थे। योगी के करीबियों की मानें तो उन्हें बाबा से ज्यादा बुलडोजर बाबा कहलाना पसंद आ रहा था।

भारतीय जनता पार्टी के समर्थकों को बुलडोजर इस कदर रास आया की कि जब 10 मार्च को चुनाव नतीजे में बीजेपी बढ़त बना रही थी तब बीजेपी ऑफिस में सिर पर बुलडोजर का खिलौना रख कर नृत्य कर रहे थे। वहीं जीत पक्की होने के बाद बीजेपी समर्थकों में बुलडोजर के साथ पार्टी ऑफिस के बाहर जश्न मनाया था।

बहरहाल सूबे में एक बार फिर से बुलडोजर बाबा सत्ता में काबिज हो गए हैं। सरकार के गठन होने के बाद योगी का बुलडोजर एक बार फिर से शुरू हो गया है। लखनऊ समेत कई अन्य जिलों में अवैध निर्माण को ढहाने का कार्य जारी है। साथ ही साथ बुलडोजर की लोकप्रियता इतनी बढ़ी कि अन्य राज्यों में भी इसका प्रयोग होना शुरू हो गया है।


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